विज्ञान भैरव तंत्र सूत्र 51
सूत्र 51
श्लोक:
आत्मानं रथितं विद्यात्प्रेरकं बुद्धिसारथिम्।
धीरः संयममास्थाय प्रयाति परमं पदम्॥
सरल अर्थ:
इस शरीर को रथ माने, बुद्धि को सारथी और आत्मा को यात्री। जो धीर पुरुष संयमपूर्वक इस ज्ञान के साथ जीवनयात्रा करता है, वह परम पद (शिव अवस्था) को प्राप्त करता है।
ध्यान विधि:
1. अपनी चेतना को इस दृष्टिकोण से देखें — शरीर एक रथ है, इंद्रियाँ घोड़े, बुद्धि सारथी, और “मैं” आत्मा इस रथ का स्वामी हूँ।
2. इस समझ के साथ मन, इंद्रियाँ, वासनाएँ — सभी को विवेकपूर्वक संचालित करें।
3. धीरे-धीरे ‘कर्ता’ भाव विलीन होगा और केवल साक्षी बचेगा — वही परमगति है।
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