ध्यान सूत्र 1
संस्कृत श्लोक:
भावप्रत्ययनिर्मुक्तो निर्विकल्पो निर्वासनः।
भावात्मकविहीनः सन् भवेन्निर्भावभावनः॥
हिंदी अर्थ:
जब मन सभी भावनाओं, विचारों, वासनाओं और कल्पनाओं से मुक्त हो जाता है, और कोई भावना शेष नहीं रहती — तब साधक "निर्भाव" (भावशून्यता) की अवस्था को प्राप्त करता है, यही शिवभाव है।
अभ्यास विधि:
शांत स्थान पर बैठें, आँखें बंद करें।
विचारों को रोकने की कोशिश न करें, केवल साक्षी बनें।
धीरे-धीरे विचारों के बीच का खालीपन उभरेगा।
उसी खालीपन में टिके रहें।
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