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ध्यान सूत्र 1संस्कृत श्लोक:भावप्रत्ययनिर्मुक्तो निर्विकल्पो निर्वासनः।भावात्मकविहीनः सन् भवेन्निर्भावभावनः॥

ध्यान सूत्र 1 संस्कृत श्लोक: भावप्रत्ययनिर्मुक्तो निर्विकल्पो निर्वासनः। भावात्मकविहीनः सन् भवेन्निर्भावभावनः॥ हिंदी अर्थ: जब मन सभी भावनाओं, विचारों, वासनाओं और कल्पनाओं से मुक्त हो जाता है, और कोई भावना शेष नहीं रहती — तब साधक "निर्भाव" (भावशून्यता) की अवस्था को प्राप्त करता है, यही शिवभाव है। अभ्यास विधि: शांत स्थान पर बैठें, आँखें बंद करें। विचारों को रोकने की कोशिश न करें, केवल साक्षी बनें। धीरे-धीरे विचारों के बीच का खालीपन उभरेगा। उसी खालीपन में टिके रहें।

योग: एक प्राचीन विज्ञान, आधुनिक जीवन के लिए वरदान

योग: एक प्राचीन विज्ञान, आधुनिक जीवन के लिए वरदान योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, यह एक सम्पूर्ण जीवनशैली है जो शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने की कला सिखाता है। यह भारत की प्राचीन धरोहर है, जिसकी जड़ें हजारों वर्षों पुरानी हैं। योग का अर्थ और महत्व ‘योग’ शब्द संस्कृत की ‘युज’ धातु से बना है, जिसका अर्थ है ‘जुड़ना’। योग का उद्देश्य आत्मा का परमात्मा से मिलन है। यह शरीर और मन के बीच सामंजस्य स्थापित कर मानव को शांति और संतुलन की ओर ले जाता है। योग के प्रमुख अंग पतंजलि ऋषि द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग के आठ अंग हैं: 1. यम (नैतिक अनुशासन) 2. नियम (स्वअनुशासन) 3. आसन (शारीरिक स्थिति) 4. प्राणायाम (श्वास नियंत्रण) 5. प्रत्याहार (इंद्रियों का नियंत्रण) 6. धारणा (एकाग्रता) 7. ध्यान (मेडिटेशन) 8. समाधि (आध्यात्मिक एकता) योग के लाभ 1. शारीरिक स्वास्थ्य: नियमित योग से मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और पाचन तंत्र सुधरता है। 2. मानसिक शांति: योग तनाव, चिंता और अवसाद को कम करता है। ध्यान और प्राणायाम से मानसिक स्पष्टता और संतुलन आता है। 3. आध्यात्मिक विकास: योग आत्मच...

सांस पर ध्यान (Anapanasati)इसमें केवल अपनी सांस के आने-जाने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

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ध्यान (Meditation) की "सबसे अच्छी विधि" व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है,  कुछ लोकप्रिय और प्रभावी ध्यान विधियाँ हैं, जिन्हें लाखों लोग अपनाते हैं। नीचे कुछ प्रमुख विधियाँ दी गई हैं: 1. विपश्यना ध्यान (Vipassana Meditation) बुद्ध द्वारा सिखाई गई यह विधि बहुत पुरानी है। इसमें सांसों के प्रति सजग रहकर अपने शरीर और मन के अनुभवों को केवल देखना सिखाया जाता है। यह विधि आत्मनिरीक्षण और मानसिक शुद्धि के लिए प्रभावी मानी जाती है। 2. सांस पर ध्यान (Anapanasati) इसमें केवल अपनी सांस के आने-जाने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। यह विधि सरल और शुरुआती लोगों के लिए उपयुक्त है।

ध्यान की सबसे आसान विधि कौन सी है

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ध्यान (मेडिटेशन) की सबसे आसान और प्रभावशाली विधियों में से एक है सांस पर ध्यान केंद्रित करना। इसे "अनापान" या "ब्रीद अवेयरनेस मेडिटेशन" भी कहते हैं। विधि: सांस पर ध्यान केंद्रित करना 1. शांत जगह चुनें – जहां कुछ देर बिना बाधा के बैठ सकें। 2. आरामदायक स्थिति में बैठें – आप जमीन पर या कुर्सी पर बैठ सकते हैं, बस पीठ सीधी रखें। 3. आंखें बंद करें और धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें। 4. सांस पर ध्यान दें – जब आप सांस ले रहे हैं और छोड़ रहे हैं, तो बस उस पर ध्यान केंद्रित करें। 5. अगर मन भटक जाए (जो कि सामान्य है), तो धीरे से ध्यान फिर से सांस पर ले आएं। समय: शुरुआत में 5-10 मिनट प्रतिदिन पर्याप्त है। धीरे-धीरे इसे बढ़ा सकते हैं। लाभ: मन शांत होता है तनाव और चिंता कम होती है एकाग्रता बढ़ती है नींद में सुधार होता है