1. ईश्वर या इष्ट देवता का चयन करें
किसी एक रूप या नाम के माध्यम से ईश्वर की आराधना करना भक्ति योग का मूल है। आप कृष्ण, राम, शिव, देवी या किसी भी रूप को अपना इष्ट बना सकते हैं।
2. नाम जप और कीर्तन करें
रोजाना ईश्वर का नाम जप (जैसे "ॐ नमः शिवाय", "हरे कृष्ण") और भजन/कीर्तन करना मन को शुद्ध करता है और भक्ति को गहरा करता है।
3. भागवत गीता और संतों की वाणी पढ़ें
श्रीमद्भगवद्गीता भक्ति योग का महत्वपूर्ण ग्रंथ है। साथ ही तुलसीदास, मीरा, सूरदास जैसे संतों की रचनाएं पढ़ना भी मददगार है।
4. सत्संग और साधु-संतों का संग करें
भक्ति योग की भावना को बढ़ाने के लिए सत्संग और साधु-संतों की संगति अमूल्य होती है।
5. सेवा और समर्पण का अभ्यास करें
निस्वार्थ सेवा (सेवा भाव) और अपने कर्मों को भगवान को समर्पित करना भक्ति योग का अभ्यास है।
6. ध्यान और भावना विकसित करें
ईश्वर के रूप, गुण, लीला और नाम पर ध्यान करना और उनके प्रति गहरी भावना जगाना ज़रूरी है।
7. नियमित साधना करें
हर दिन एक निश्चित समय पर ईश्वर के साथ जुड़ने का अभ्यास करें। इससे भक्ति में स्थिरता आती है।
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